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धैर्य से माँगोगे, सहज मिलेगा || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2015)

2019-11-29 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />संवाद सत्र<br />१ नवम्बर २०१५<br />ए. आई. टी, कानपुर<br /><br />दोहा:<br />जो कुछ आवे सहज में,<br />सो मीठा जान I<br />कडुआ लागे नीम सा,<br />जा में खींचा-तान<br /><br />प्रसंग:<br />ध्यान और सहजता में क्या भेद है?<br />सहजता का क्या अर्थ है?<br />न प्रयत्न न प्रार्थना, सहज मिले को क्या माँगना?<br />अपने अंदर धैर्य कैसे लाए?<br />हम सहज क्यों नहीं रह पाते?<br />"जो कुछ आवे सहज में, सो मीठा जान I कडुआ लागे नीम सा, जा में खींचा-तान"II इस दोहे में खींचा-तान का क्या अर्थ है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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